सोमवार, 4 जुलाई 2022

वाकणकर शोध संस्थान महाराष्ट्र इकाई का छत्तीसगढ़ दौरा

वाकणकर शोध संस्थान महाराष्ट्र इकाई का           छत्तीसगढ़ दौरा
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 विगत माह जून में दिनाँक 25/6/2022 से 30/6/2022 तक महाराष्ट्र इकाई से संस्कार भारती पश्चिम महाराष्ट्र से चार सदस्यों की टीम छत्तीसगढ़ राज्य के पुरास्थलों का अनुसंधान करने  और इस दिशा में यथोचित पहल करने के उद्देश्य से छत्तीसगढ़ का दौरा किये। इन चार सदस्यों का परिचय इस प्रकार हैं-
१. विनिता देशपांडे, पुणे
सचिव, वाकणकर शोध संस्था, उज्जैन
सह संयोजक, प्राचीन कला विधा, संस्कार भारती पश्चिम महाराष्ट्र (हरीभाऊ वाकणकर का जीवन चरित्र लेखन)
लोकसंस्कृती तथा प्राचीन इतिहास अध्ययनकर्ता 
२. इंद्रनील बंकापुरे, कोल्हापूर 
सदस्य, वाकणकर शोध संस्था 
मूर्ति शास्त्र एवं मंदिर वास्तुकला के अध्ययनकर्ता
३. नरेन्द्र वेलणकर, पुणे 
सदस्य, वाकणकर शोध संस्था
पुरा अवशेष, पुरातत्वविद् भूमिजतज्ञ, प्राचीन वास्तुकला अध्ययनकर्ता
४. प्रवीण योगी
सदस्य, वाकणकर शोध संस्था
दुर्ग विशेषज्ञ, प्राचीन इतिहास अध्ययनकर्ता
      इन सदस्यों का उद्देश्य निम्नलिखित हैं

उद्देश्य-
समस्त भारत मे वाकणकर शोध संस्था के मध्यम से सच्चे प्राचीन भारतीय संस्कृति, इतिहास का प्रसार करना.
इस क्षेत्र मे कार्यरत शोधकर्ताओं को प्रोत्साहित करना, आवश्यक सहायता करना.
पद्मश्री हरीभाऊ वाकणकर के कार्य का प्रसार करना.
       वर्षो से छत्तीसगढ़  राज्य के कोरबा जिले के वनाँचल में जिला पुरातत्त्व संग्रहालय कोरबा के मार्गदर्शक हरि सिंह क्षत्री द्वारा अनेकों शैलाश्रयों की खोज किया जा रहा है। इनमें अबतक 18 शैलाश्रयों में हजारों की संख्या में शैलचित्रों को भी खोजा गया है। जिनकी संभावित तिथि ऐतिहासिककाल  से लेकर पुरापाषाणयुगीन तक की तिथि तक आती है। 
       इन्हीं खोजों को अध्ययन करने और इस पर व्यापक काम करने के उद्देश्य से टीम सबसे पहले तालागाँव के देवरानी-जेठानी मंदिर गए , फिर कोरबा के शैलाश्रयों का अध्ययन करने के बाद , शिव मंदिर कनकी, कोरबा का  अध्ययन किए फिर, जाँजगीर-चाँपा जिले के विष्णु एवं शिवमंदिर, शिवरीनारायण के विभिन्न मंदिरों का अध्ययन करते हुए खरौद के मंदिरसमूह का अवलोकन कर  बिलासपुर जिले के मल्हार के देउरमंदिर , पातालेश्वर मंदिर, प्राचीनमृदा किला, के अलावा प्राचीन बसाहट स्थलों का निरीक्षण किया।  जहाँ से कुछ सामाग्री अध्ययन के लिए भी ले गए। ताकि इन जगहों का सही इतिहास सबके सामने आ सके। 
         इस टीम ने मल्हार में एक उच्चकोटि के राष्ट्रीय संग्रहालय  होने की आवश्यकता की भी बात कही। टीम ने इस दिशा में अपने स्तर पर इस दिशा में पहल करने की भी बातें कहीं। 
        उन लोगों ने यहाँ पुनः आगमन की भी इच्छा प्रकट की। अल्पसमय होने के कारण टीम रतनपुर भ्रमण करने के लिए रवाना हुए , रास्ते में मदकुद्वीप भी देखने की इच्छा प्रकट की।  
        इस महत्वपूर्ण यात्रा के अंतिम दौर में पुरी टीम संस्कृति विभाग रायपुर जाकर वहाँ का संग्रहालय भ्रमण करने के बाद वहाँ केअधिकारियों से मिलकर विभाग द्वारा प्रकाशित पुस्तकों को भी अध्ययन करने अपने साथ ले गए। 
        वाकणकर शोध संस्थान , उज्जैन और संस्कार भारती पुणे, पश्चिम इकाई  की यह टीम छत्तीसगढ़ के इतिहास और पुरावैभवों के लिए समुचित कार्ययोजना तैयार करने और पुनः लौटने की बातें कहकर अपने गंतव्य पर वापस लौट गई और ले गए यहाँ की संस्कृति, इतिहास और  पुरावैभवों की सुनहरी यादें और
साथ ही ले गए कोरबा में निवास करनेवाले आदिमानवों की संस्कृति और उनके निशान।