मुगलकालीन तुलसीदास कृत रामचरित मानस, लिथोग्राफ पर मुद्रित
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जिला पुरातत्त्व संग्रहालय कोरबा में लिथोग्राफ पर मुद्रित एक दुर्लभ रामचरित मानस पर्यटकों के देखने के लिए रखा गया है । जो जिला पुरातत्त्व संग्रहालय के मार्गदर्शक श्री हरि सिंह क्षत्री को कोरबा जिले के करतला विकासखंड अंतर्गत उमरेली निवासी सेवानिर्वृत्त प्रधानपाठक श्री तेजी राम सोनी ने उन्हें नदी में विसर्जन करने के लिए दिया था, जिसकी महत्ता को जानकर उसे कोरबा ले आया और उसे साफकर सुरक्षित रुप से संग्रहालय में रख दिया है। यह पुस्तक बहुत पुरानी पर महत्वपूर्ण है। यह अत्यंत जीर्णशीर्ण होने के कारण संरक्षित किए जाने योग्य है।
इस राम चरित मानस के अनुशीलन से पता चलता है कि इनका अलग अलग काण्ड अलग अलग तिथि को लिखे गए हैं और मुद्रित भी हुए हैं। इसमें एक जगह लिखा है कि- 'इति श्रीराम चरित मानसे सकल कलि कलुष विध्वंसने विमल विज्ञान वैराग्य सम्पादनो नाम तुलसीकृत वालकाण्ड प्रथमः सोपानः समाप्तः संवत १५४६ मिति वैशाखवदी १५ दिन सोमवार । आगे श्लोक ७, चौपाई १५७५, छन्द ३५ , सोरठा ३६ , और दोहा ३६१ की संख्या के साथ लिखंत कालीचरन ।। मतवै फ़ैज़रसां शहर लखनऊ अक़बर सराय आग़ामीर मेल एहत्माम ज़ामिन अली खां के छापा गया।। २६ अपरैल सन् १८८५ ईस्वी।।वारसेयुम।। यहाँ कुछ मानवीय गलतियाँ दृष्टिगोचर होती हैं। इसी तरह एक पृष्ठ पर 'इति श्रीराम चरित मानसे सकल कलि कलुष विध्वंसने विमल वैराग्य संपादने तुलसीकृत आरण्यकांड तृतीय सोपानः समा०' लिखा गया है।
इसी तरह किष्किंधाकाण्ड - शहर लखनऊ मु० अकबर सराय आगामीरमतवय फैज़रसंमिंएहत्माम ज़ामिन अली खां से छपावा रचहारुम २० नवम्बर १८८५ ईसवी ' को लिखा गया पाया गया है। इसी तरह इस राम चरित मानस में एक जगह -' कृपा श्री भगवान में, यह पोथी छपी शहर लखनऊ मुहल्ले , लंकाकांड अकबर सराय आगामी रमेमतवपे , जरसो , जामिल अली खाँ से छ०' लिखा पाया गया ।
इसी तरह एक पृष्ठ पर ' इति श्री राम चरित मानस तुलसीकृत सुन्दरकाण्ड पंचम सोपान समाप्त संवत १५४५ आषाढ़वदी ८' लिखा पाया गया है।
इस पोथी में अनेक मानवीय भूलें मुद्रित हैं। कहीं लकीर में जगह कम पड़ने पर शेष शब्दों को आड़ी के बजाय खड़ी कर मुद्रित किया गया है। कहीं मात्राओं में भूल की गई है तो कहीं शब्दों में।
इस पोथी में पचास से भी अधिक हस्तचित्र चित्रांकन किया गया है। इन चित्रों में भी अनेक भूलें हैं। जैसे - रावण के सिर को देखने से पता चलता है कि कहीं नौ सिर है तो कहीं ग्यारह। एक जगह नौ सिर तो दसवें सिर के रूप में गधे को दिखाया गया है । इस तरह से यह लिथोग्राफ पर मुद्रित राम चरित मानस अपनी अनेकों विशेषताओं के साथ एक अनोखी पोथी है , और अद्वितीय भी।
सूत्र -
1/- पोथी के मूल स्वामित्व श्री तेजी राम सोनी जी के व्यक्तिगत विचार,
2/- जिला पुरातत्त्व संग्रहालय के मार्गदर्शक श्री हरि सिंह क्षत्री को कथनानुसार विचार
एक बार प्रत्यक्ष देखने की अभिलाशा / जिज्ञासु रूप में इसलिये - इसके पश्चात टिप्पणी ! प्रशंसनीय प्रयास !
जवाब देंहटाएं#जय श्री राम !!💐💐💐
धन्यवाद !
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