बुधवार, 27 मार्च 2024

चींटियों का संसार

                                 दुर्गाछी का घर
                           चींटियों की दुनिया 
           काली चींटी, लाल चींटी, दुर्गाछी , मटारा , चांटा,आदि। ऐसे ही कभी-कभी समूह में कुछ ही समय के लिए दिखने वाली छोटी काली चींटी पता नहीं कहां से आती हैं और कहां चली जाती हैं। बड़े आकार के काली चींटी भी समूह में आती हैं। पर ये दोनों ही सीधे होते हैं कुछ भी नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। परंतु छोटी-छोटी लाल चींटियों की समूह या लाल माटा(मटारा) ये आक्रामक होती हैं और और कटीली तथा जहरीली भी।
                               लाल माटा (मटारा )
काली चींटियों में दुर्गाछी चींटियां ही जहरीली और आक्रामक होती हैं। इनके समूह द्वारा तो मैंने कोबरा सांप को भी घेर कर मारकर खाने तक की स्थिति देखा है। 
             इनसे एक शिक्षा ली जाती है कि जब आप आकार में छोटे हैं तो अपनी समूह को बड़ा कीजिये, और समूह की शक्ति से ताकतवर को पराजित किया जा सकता है। यह सामर्थ्य अवगत करवाइये।
             सीधे-सादे काली चींटी आमतौर पर घरेलू होती हैं। जबकि लाल चींटी आमतौर पर जंगली और जहरीली। काली चींटी दुर्गाछी ही जंगली होती हैं इसलिए आक्रामक होती हैं। 
                           दुर्गाछी चींटियों की कतार
             चींटियों की तीन भाग होती हैं पहला मुख दुसरा पेट और तीसरा स्टोर रूम । काली चींटी मीठा भोजन करती हैं । आंटा खाती हैं और रोटियां और चांवल भी, जबकि लाल छोटी चींटी जमीन के अंदर ठंडे स्थान पर रहना पसंद करती हैं । इनके  स्टोर रूम शरीर के तीसरे भाग में मीठे तरल पदार्थ होता है।वहीं लाल माटा (मटारा) आमतौर पर आम के पेड़ों पर घोंसला बना कर रहती हैं। इनके स्टोर रूम तीसरे भाग में खट्टे तरल पदार्थ होता है। जबकि काली दुर्गाछी चींटियों के तीसरे भाग रासायनिक पदार्थ से भरी हुई होती हैं। ये जहरीली होती हैं। इनके काटने से तेज जलन होती है, ज्यादा चींटियों के काटने से तेज बुखार हो सकता है और मौत भी।
                कोरबा के वनांचल में एक प्रकार की और चींटियां पाई जाती हैं , ये चींटियां भी पेड़ों में पाई जाती हैं परंतु ये चींटियां पेड़ों पर माटा की तरह पत्तियों से घर नहीं बनाती हैं वरन ये पेड़ों पर मिट्टी के घोंसला बनाती है । इनका समूह जीतना बड़ा होता है उतना ही बड़ा उनका घरौंदा भी होता है । ये घोंसला पूर्णतः सुरक्षित और वातानुकूलित होती है। अंदरुनी भाग में मादा चींटियां अपने अंडों की सुरक्षा करती हैं। 
          चींटी फोरमिसिडाए नामक जीववैज्ञानिक कुल में वर्गीकृत है। इस कुल की 12,000 से अधिक जातियों का वर्गीकरण किया जा चुका है और अनुमान है कि इसमें लगभग 10,000 और जातियाँ हैं। इनका विश्व के पर्यावरण में भारी प्रभाव है, जिसका चींटी  शास्त्री गहरा अध्ययन करते हैं। रानी चींटी की उम्र लगभग 20 साल होती है जबकि अन्य चीटियां 45 से 50 दिन का ही जीवन जी पाती है  
           मान्यतानुसार अगर आपको अपने घर में काली चींटियां दिखाई दें तो इसका मतलब है कि आपके जीवन में कुछ अच्छा होने वाला है। यह सौभाग्य की निशानी की तरह है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आपके घर में हर समय चींटियां रहें। जब आप काली चींटियों को देखते हैं तो इसका मतलब है कि आपके जीवन में कुछ अलग हो रहा है। उनका स्वागत करने के लिए आप आटा छिड़क सकते हैं। एक बार जब आपके इष्ट देव को पता चल जाएगा कि आपको संदेश मिल गया है, तो चींटियां अपने आप चली जाएंगी।
           अगर आपको अपने घर में लाल चींटियां दिखाई दें तो इसका मतलब यह हो सकता है कि पैसों को लेकर कुछ बुरा हो सकता है। अचानक किसी समस्या के कारण आपको पैसे उधार लेने पड़ सकते हैं। चींटियां शनि देवता का संकेत हैं, जिससे आपको सावधान रहना चाहिए और जो हो रहा है उस पर ध्यान देना चाहिए। लाल चींटियों को अक्सर एक बुरे संकेत के रूप में देखा जाता है। इनके आने का मतलब आपके घर में कंगाली आने वाली है । ऐसी मान्यता है।
            आमतौर पर लोग इन चींटियों से तुरंत छुटकारा पाने की कोशिश करते हैं, लेकिन ऐसा करने से बचना चाहिए । यदि आप शनि देवता में विश्वास रखते हैं, तो आपको उनके भेष में आने वाली चींटियों को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए। इसके बजाय, आप चींटियों को भगाने के लिए नींबू, तेज पत्ता, काली मिर्च या लौंग जैसी चीजों का उपयोग कर सकते हैं। जब चींटियां इन चीज़ों को देखेंगे तो समझ जाएंगे कि आपको उनका संदेश मिल गया है और वे चली जायेंगी।

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