कोरबा जिले में आपने पुरातात्विक धरोहरों को बचाने के लिए विशेष पहल किया। आप स्वतः के खर्च पर लगातार 3 सालों तक जंगल में बिखरे धरोहरों को लाकर, जिला कलेक्टर कार्यालय में जमा करते रहे। जिससे प्रभावित होकर जिलाधीश महोदय ने पहले आपको पुरातत्व संघ में विशेष आमंत्रित सदस्य बनाया और जब आपने इतनी सामग्री एकत्र कर लिए कि एक संग्रहालय बन जाए, तब जिलाधीश के द्वारा पहले एक अस्थाई संग्रहालय बनाकर, उसकी देखरेख हेतु और आपकी खोज को बढ़ावा देने के लिए आपको पूर्णतः अशासकीय सेवक के आधार पर मानदेय राशि प्रदान करते हुए मार्गदर्शक पद पर कार्य करने की जिम्मेदारी दी। तब से आप लगातार नए-नए खोज और संग्रह करते जा रहे हैं। आप ही के प्रयास से संस्कृति विभाग छत्तीसगढ़ और नगर निगम के 50-50% योगदान से आलो वाला एक स्थाई संग्रहालय का निर्माण भी हुआ। जिसमें सिक्के, मूर्तियाँ, जीवाश्म, मृद्भांड, तलवारें, बंदूकें एवं जमींदारी कालीन वस्त्र ,आभूषण, दस्तावेज आदि के अलावा जनजातीय संस्कृति से जुड़े हुए सामानों का संग्रह कर, आपने कोरबा जिले को एक बेहतरीन सौगात दिया। जिसमें आपने यहाँ मूर्तियाँ एवं अन्य पुरातात्विक संपदा को खोज-खोज कर उन्हें इस क्षेत्र की पुरातत्विक संपदा, मूर्तियाँ, संस्कृति एवं कलाएँ संग्रहित कर प्रदर्शन हेतु रखने लगे। जिससे जनमानस को इस क्षेत्र की संस्कृति एवं सभ्यता को जानने का शुभ अवसर मिल रहा है। वहीं विद्यार्थियों के लिए अध्ययन हेतु पर्याप्त सामाग्री प्रदर्शन हेतु आपने उपलब्ध कराया है।
आपने भाटीकूड़ा में शिव मंदिर के भग्नावशेष एवं नदी देवियों की दुर्लभ प्रतिमाएँ, मौहारगढ़ में किले की भग्नावशेष, मूर्तियां और शिलालेख, सीतामढ़ी कोरबा में सातवीं-आठवीं शताब्दी के शिलालेख और भगवान राम-लक्ष्मण तथा विश्वामित्र जी की यज्ञ की रक्षा करते हुए दुर्लभ प्रतिमाएँ और सुरंग, बीरतराई में शिवमंदिर के अवशेष और मूर्तियाँ, आमाटिकरा में हनुमान जी और महिषासुर मर्दिनी की प्रतिमा, कोसगाई में अनेक गुफाएँ, मूर्तियाँ, कुटरीगढ़ में शिव मंदिर और मूर्तियाँ, गढ़कटरा में प्राचीन किला गजाडाँग और हनुमान जी की प्रतिमा, शिव मंदिर के अवशेष तथा प्राचीन नगर के अवशेष, गढ़-उपरोड़ा में शिव मंदिर के अवशेष, नेवसापाठ के कुएँ के अंदर में शिलालेख, लाफा में प्राचीन मूर्तियाँ, अमरेली ,रजकम्मा, घुमानीडांड़ ,धनगाँव कर्रापाली में मूर्तियाँ और स्थापत्य खंड,नेवारडीह में मृद्भांड और नगाड़े, पहाड़गाँव में प्राचीन नगर के अवशेषों को खोज कर उन्हें यथासंभव जिला संग्रहालय में संग्रहित किया, या उनके मूल स्थान में उनकी सुरक्षा सुनिश्चित कराया। बाल्यकाल में पद्मश्री श्री हरिभाऊ वाकड़कर जी को मिले मल्हार में सम्मान और आपके घर जाकर, आपके सिर पर हाथ रख कर दिया गया आशीर्वाद और ज्ञान का प्रभाव ही था कि आपने कोरबा जिले के करतला विकासखंड में पहली बार जब 8 नवंबर 2012 को लगभग 2200 फीट की ऊँचाई में दूल्हा-दुल्ही पहाड़ी पर 12 मीटर लंबे शैलाश्रय में हाथ ऊपर उठाए हुए दो मानव आकृति ,एक महिला आकृति हिरण या भालू आदि के शैलचित्रों की खोज किया ,इस कार्य के लिए जिला प्रशासन के द्वारा आप को प्रोत्साहन मिला ।इससे प्रसन्न होकर आपने यहाँ से 3 किलोमीटर दूर ही भारत देश का एकमात्र शैलचित्र जिसमें सीताहरण की कथानक है ,जिसे भारतीय पुरातत्व एवं सर्वेक्षण विभाग ने प्रारंभिक इतिहास काल का माना है, तो इसे मीनाक्षी पाठक एवं जान क्लाट साहब ने इसे और भी प्राचीन माना है। इसके बाद इसे ई टीवी में आधे घंटे की स्पेशल स्टोरी बना कर दिखाया गया। बाद में न्यूज़ 18 इंडिया के प्रसिद्ध शो 'आधी हकीकत आधा फसाना ' में भी स्पेशल स्टोरी के रूप में दिखाया।
इसके बाद आपने अजगरबहार के हरदीमाड़ा गाँव के मछलीमाड़ा में आदिमानव का शैलाश्रय और पाषाण कालीन लघु उपकरणों, धूमिल होते हुए शैलचित्र ,अजगर बहार के रानी गुफा में 30 से अधिक हाथ के पंजे और मानव आकृति तथा शैलाश्रय, प्रसिद्ध पर्यटन स्थल सतरेंगा के पास स्थित ग्राम पंचायत कदमझरिया के बाबा मंडिल शैलाश्रय में हाथ के पंजों के 8-10 शैलचित्र, लेमरू ग्राम पंचायत के छातीबहार गाँव के छातीपाठ शैलाश्रय में लाल गेरुवे एवं सफेद रंग के 173 शैलचित्रों में सूर्य ,ज्यामितीय आकृतियाँ, मुर्गी, मयूर, अश्व ,अश्वारोही ढाल और खड्ग सहित, मछली के काँटा आदि शैलचित्र के अलावा छातीबहार के ही बरहाझरिया नाला के बाएँ तट के शैलाश्रय में हाथ के पंजे के 60, ज्यामिति प्रकार के 40, हिरण के 20 एवं अन्य शैलचित्रों की संख्या 30, कुल-150 से अधिक शैल चित्रों की खोज की ।
आपने ग्राम पंचायत लेमरु के आश्रित ग्राम भूड़ूमाटी के खाममाड़ा शैलाश्रय में 2 घुड़सवार, 3 खड्गधारी पैदल सैनिक, 2 सर्प,1कानखजूरा, 3 हिरण, 1 मयूर,1मोरनी, 1मकड़ी, 2 दंड, 1 ज्यामितीय आकृति और 2 धूंधले शैलचित्रों की खोज किया । नकिया गाँव के रक्साद्वारी शैलाश्रय में दिनाँक 25/1/2020 को आपने कोरबा जिले में पहली बार काले रंग के हिरण का 1एवं लाल रंग के पूँछवाले जानवर , हाथ के पंजे ,शैलाश्रय में अनाज कुटने हेतु पाँच गोल छिद्र के अलावा यहाँ प्रचुर मात्रा में पाषाण कालीन लघु उपकरणों की खोज किया।
सोनारी ग्राम के हाथाजोड़ी माड़ा में हाथों के पंजे की 30, पूँछवाले जानवरों के 10 आदि, के अलावा यहाँ से 10 से 15 मीटर दूर एक और शैलाश्रय में हाथ के पंजों के लालगेरुवे रंग में 9 और शैलचित्रों की खोज किया । उसी दिन सोनारी के ही एक और शैलाश्रय धसकनटुकु में जो पहले शैलाश्रय से लगभग आधा किलोमीटर दूर है ,हाथ के पंजों की 7, दंड का 1और ज्यामितीय प्रकार के 30 शैलचित्रों की खोज आपने दिनांक 23/11/2019 को किया।
ऐसे ही आपने दिनाँक 30/11/ 2019 को अरेतरा गाँव में 3 शैलाश्रयों रमेलमाड़ा में हाथ के पंजों की 16, ज्यामितीय प्रकार के 16 और जानवरों की 2 शैलचित्रों की खोज किया। यहाँ से 6 किलोमीटर दूर मानघोघर नदी के दाहिने तट पर स्थित हाथामाड़ा शैलाश्रय में हाथ के पंजों की सफेद और लाल रंग में कुल 65 और 2 ज्यामितीय प्रकार के शैलचित्रों की खोज किया। उसी दिन अरेतरा के ही हाथामाड़ा से लगभग 6 कि.मी. दूर मानघोघर नदी के बाएँ तट पर स्थित गढ़पहरी शैलाश्रय में हाथ के पंजे की 1, ज्यामितीय प्रकार के 1और 1 अस्पष्ट शैलचित्र की आपने खोज की ।
अभी हाल ही में आपने भुड़ुमाटी के एक और शैलाश्रय खिनताखोला जिसे चिंताखोला के नाम से भी जाना जाता है,में हाथ के पंजे की 18, उल्लू या गरुड़ के 6, सफेदहिरण 1, कालेहिरण 1,लालहिरण की 1, धान की बुवाई के 2 के अलावा अन्य शैलचित्रों की खोज किया। यहाँ एक मैदान में बाल हनुमान और पक्षियों की उड़ते हुए ताम्र-पाषाणकालीन मूर्तियाँ भी खोजकर , इनकी जानकारी जिला प्रशासन एवं विभाग को उपलब्ध कराया।
इसके अलावा पुटकापहाड़ी में भगवान कचहरी नामक ओपनथियेटर को प्रकाश में लाया है, यहाँ रहा मान्यता है कि भगवान राम ने वनवास के दौरान वनवासियों और संतों की पहली कचहरी (दरबार) कार्तिक पूर्णिमा के दिन लगाया था। तब से जनजातीय समाज यहाँ प्रतिवर्ष दीपक जलाकर उन्हें याद करते हैं।
आप का मानना है कि कोरबा जिले का पुटकालेमरू वन परिक्षेत्र आदिमानवों का विचरण क्षेत्र एवं ऋषि मुनियों की तपस्थली रही है। यहाँ और भी शैलाश्रयों में शैलचित्रों की मिलने की संभावनाएँ है। एक न एक दिन यह क्षेत्र विश्व धरोहर के रूप में भी संरक्षित क्षेत्र घोषित होगा। आपके उपलब्धियों को देखकर आपका नाम मैं कोरबा जिले की जिले की ओर से पद्मश्री पुरस्कार के लिए प्रस्तावित करता हूँ।
(आभार -सुनीता सिंह ठाकुर, )
हेमन्त दुबे (टीनी),मल्हार
कोरबा
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